Saturday, September 15, 2012

FDI in Retail - पहला कदम, पहले ???

हर मर्ज की दवा विदेशी पैसा नहीं हो सकता ...सिकंदर के इलाज के लिये जो उसे द्वा दी जा रही थी उसी का ओवरडोस उसकी म्रत्यु का कारण बनी ! डा. मनमोहन कमोवेश यही इलाज भारत का कर रहे हैं |
पैसा तो भारतीयों का भी काले धन के रूप में विदेशो में पड़ा है और लगातार जा रहा है! डॉ सिंह उस पैसे को पहले लाने का प्रयास नहीं करते, उनकी इक्क्षा शक्ति काले धन के मामले में नगण्य साबित होती है ! भारतीय पैसे से बने mega Stores पर किसी को
आपत्ति  नहीं है  जहाँ ज्यादातर सामान भारतीय फैक्ट्रियो से होता है और मुनाफा भी भारतीय, पर शायद अमिरीकी चुनाव के दौरान ओबामा साहब को आपत्ति  हो!  अभी कहा तो ये भी जा रहा है की भारतीयों का ही कुछ काला  पैसा इस नहीं पहल से सफ़ेद होने वाला है ! अंग्रेजी में १ लाइन है "first step first", ये सिधान्त तो बच्चा पैदा होते ही सीखने लगता है ! पता नहीं दोष कहाँ है, Cambridge की पढाई में या डॉ सिंह इसे भूल रहे है? वरना डीजल की कीमते बढाने के पहले डीजल कारो पर ज्यादा कर पहले लागते, जो प्रदुषण भी ज्यादा फैला रही है  ! 
हम भारतीय किसी नई चीज का निर्माण कैसे करते  है, इसकी बानगी है
नई सड़क के दोनों छोरो पर मलबा छोड़ देना है ! हम नई कोशिश करते समय कभी भी दोनों सिरों को अच्छे से नहीं जोड़ते ! अच्छा होता FDI की मंजूरी के पहले बहस होती, और सरकार ये बता पाती कि कैसे छोटे व्यापारी और किसान प्रभावित नहीं होंगे? और इन् बातो को कानून में जोड़ा जाता न की छोड़ दिया जाता वालमार्ट जैसी कम्पनियो के "चरित्र" पर की वो किसे फायदा पहुचाते है और किसे नुकसान !!!

3 comments:

Unknown said...

Great line Vinod......I guess this changes minds of our unworthy politicians who are putting India on a verge of collapse.

Unknown said...

बहस का दौर हर जगह जारी है ...पर बहस काल्पनिक फायदे पर आधारित है ! आज कानून में मौजूद छेदों के चलते हीरानंदानी जैसे बिल्डर खड़े हो गए है ..Powai के हीरानंदानी गार्डेन के लिए सरकार ने जमीन 40 पैसा acre दी थी की छोटे घर बनाने के लिए (४० और ८० sq मीटर के) ...पर बिल्डर ने बड़े घर बनाये और उस बड़े घर के रजिस्ट्री करते वक्त उसे २ से ४ हिस्सों में दिखाते हुए परिवार के ४ लोगो ने नाम घर कर दिया ! बाद में दलील दे रहे है की, लोगो ने छोटे घर खरीदे और दीवारे तोड़ ली. सरकार ने Retail FDI कानून में भी ऐसे ही छेद कर रखे है ...न जाने क्यों लगता है छेद गलती से नहीं होते....जानबूझ कर छोड़े जा रहे है !!!

rp said...

FDI pe behas huee thi lekin sunayeee kahaan gayee?as usual covert games have been played. gov projects socialistic agenda and performs capitalistic or worse corruption agenda. this has companies irked abroad as well. Wal-Mart has competition as well that is pissed if you go and talk about from thier prospective. so this move has pissed local and foreign stakeholders alike. there are a few "muthi Bhar" beneficiaries though.

rahi baat Indians ki...toh log apney AAP union bana ke Wal-Mart fail kar sakein to baat hai. otherwise its like imperialism and India towards being a colony 2.0