Wednesday, June 24, 2009

टीम इंडिया और टी-20

में अपने २८ साल के विशाल जीवनकाल में पहली बार कुछ लिखने जा रहा हूँ ,यथावत ये प्रेरणा मुझे विनोद से हे मिली ,प्रेरणा इस बात की ,की यदि आप अपने देश के प्रति गंभीर हैं उसकी व्यवस्था से असंतुस्ट हैं,राजनेताओं के भाषण और उनके झूठे अस्वासन से ग्रसित हैं और आप प्रत्यक्ष रूप से देश क हित में कुछ नहीं कर प् रहे हैं तो परोक्ष रूप से अपनी गंभीरता,अपने विचार अपना क्रो़ध अपनी सारी कसर इस ब्लॉग में निकाल सकते हैं .वास्तु त् आप हिंदी में निपुण हो .न तो में राजनीती की बातों में इतना दक्ष हूँ न ही अंतर्राष्टीय मुद्दों पर किसी तरह की टिपण्णी करने के योग्य हूँ ,तो मैंने निर्णय लिया में अपना सारा क्रो़ध T20 विश्व कप पर निकालूँगा !हम हार गए ये तो आप जानते हैं ,और हमारी हार के १२५ करोड़ कारण है ,क्यूंकि इस देश का हर एक नागरिक अपने आप में एक क्रिकेट विशेषज्ञ है ,कोई महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी पर प्रश्न उठता है तो कोई I P L की थकान को ,कोई सहवाग की अनुपस्थ्तिती से दुखी था तो कोई युवराज के खराब फॉर्म को लेकर अपशब्द कह रहा था ,हम सब भूल गए की २ साल पहले इसी टीम ने भारत के क्रिकेट इतिहास में नया कीर्ति मान रचा था ,यही कप्तान (धोनी ) हमें देश विदेश में बहुत सारी श्रंखलायें जीता चूका है ,और इस कप्तान की रणनीति,टीम सेलेक्शन का लोहा सचिन तेंदुलकर जैसा महान क्रिकेटर भी मानता है ,और उससे भी बड़ी बात है झारखंड के इस छोटे खिलाडी को बड़ा सितारा बनाने वाले हम १२५ करोड़ लोग ही हैं ,दरअसल हम हिन्दुस्तानी लोग इस खेल को लेकर ज्यादा भावुक हैं, मुझे इस पर आपत्ति नहीं है, आपत्ति वाली बात ये है ,की हम भारतीये मीडिया के बारे सब जानते हुए भी उनकी कही हर बात पर बिना विचार किये मान लेते हैं ! इंग्लैंड से मैच के पहले धोनी ने मीडिया के कुछ प्रश्नों पर आपत्ति जताई और उनका उत्तर देने से इनकार कर दिया ,उसके बाद हम सब भारतीये टीम की जीत के लिए खेल देख रहे थे और मीडिया हारने की प्राथना कर रहा था ,क्यूंकि वो अब कप्तान को बताना चाहते थे की उन्हें बड़ा सितारा बनाने वाले भी वही हैं ,और हार के उपरांत खबरें आयीं ,शर्म करो ,अर्श से फर्श पर ,इत्यादिमें यहाँ हार की समीक्षा करने की चेष्टा नहीं करना चाहता ,बस यही दर्शाना चाहता हूँ की भारतीये टीम का खिलाडी बनना निश्चित हे कठिन है पर इस टीम का खिलाडी बने रहना उससे भी ज्यादा कठिन ,आपको अपने खेल में तो निपुण और दक्ष होना ही पड़ेगा साथ ही उससे जुडी राजनीति से निपटना ,मीडिया क साथ सम्बन्ध बनाने का गुण , ये सब आना चाहिए !!!
में नहीं मानता धोनी की कप्तानी कहीं से भी गलती है,उन्होंने इसके पहले भी टीम के हित में अनेक निर्णय लिए जो सफल भी हुए ,हार निश्चित ही निराशाजनक रही पर उससे आप किसी भी टीम की योग्यता पर सवाल नहीं उठा सकते ,किसी विशेषज्ञ ने खेल के दौरान कहा ,की अगर ये भारतीय टीम का भविष्य है तो ,सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ को वापस लाना चाहिए ,पर ये वाक्य मुझे हास्यपूर्ण ही लगा ,क्या वो नहीं जानते की सौरव अपने खेल के सबसे आखिरी पड़ाव पर थे जब उन्होंने ने संन्यास लिया ,उनकी उपलब्धियां निश्चित हे सरह्निये हैं परंतु आज के दृष्टिकोण से देखें तो क्या आप इन खिलाडियों को मौजूदा भारतीय टीम विशेषकर ट२० खेल के योग्य मानते हैं।अब में अपने के बोर्ड को विराम देता हूँ ,अपना धेर्य और संयम रखने के लिए आप सभी का धन्यवाद !
संदीप !!!