Saturday, July 26, 2008

कायर हिन्दुस्तान, कायर हम !!!


आज बंगलोर के बाद अहमदाबाद की बारी आ गई...मुंबई, अयोध्या, मलेगओं, हैदराबाद, जयपुर, बंगलोर २ बार... आखिर कब तक, कब तक हम अपने सीने पर बार सहते रहेंगे. आज अहमदाबाद ब्लास्ट में अस्पतालों को भी निशाना बनाया गया...न्यूज़ सुन कर राम गोपाल बर्मा की लेटेस्ट मूवी Contract का वो द्रश्य यद् आ गया जिसमे कहा जा रहा था की अस्पतालों को निशाना बनाओ, ताकि लोग जहाँ जान बचने जाए वहां भी मौत का तांडव देख ले, ताकि मानवता हिल जाए.
ये बात इतनी छोटी नही की हम महीने २ महीने में इसे भुला दे, पर कही बड़ी बात ये है की हम उन लोगो तक पहुच भी नही पाते जो इतना अभिशप्त कम करने निकल जाते है. निशाना किसी पर भी साधा जाए, कमजोर हर कोई है. और शायद कमजोर से जयादा हम कायर हो चले है. वक्त आ गया है की अब हमें महाराना प्रताप, शिवाजी, लक्ष्मी भाई, भगत सिंह, उधम सिंह या किसी और बहादुर के किस्से न पढाये जाए. अरे कुछ वक्त के बाद तो हमारी माओ के आँशु भी सूख जायेंगे.
हमारे अन्दर शायद अब हलचल नही होती. कभी महसूस करके देखे की आप भीड़ में नग्न खड़े है, आपके ऊपर १ भी कपड़ा नही है, वो अहसास शायद आपको हिला पाए. क्योंकि आज के हिन्दुस्तान की हालत कुछ इस तरह ही हो रही है. कुछ समय में ऐसी ही परछाई लोगो के दिलो दिमाग पर छाने लगेगी...विदेशो में, आतंकवादियों, नाक्साल्वादियो के अन्दर. शायद उस नग्नता के अहसास के साथ हम आपनी आत्मा देख पाए.
कम से कम कोई नही तो मीडिया तो अब आरोप प्रत्यारोप दिखाना बंद करे, बहुत हुआ ....कुछ दिखाना है तो लोगो को सावधान रहने के तरीके सिखाये, लोग कुछ ग़लत होने का अंदेशा पाकर खुफिया तंत्र को जानकारी दे पाए, डरे ना, और इस अहसास को की हमें लड़ना है कम से कम कुछ महीने में गायब न होने दे..शायद कुछ हलचल हो और वो हचल हमें डराने की जगह अपराधियों को डरा पाए.... वरना कायर तो हम हो ही गए है...

Whoever read it..please take a oath for life time..you will be alert from now, if see any thing suspicious around you ...please let the police or concerned authority know...do your job without thinking about the Causes, Complications and Consequences.

Major attacks in India since २००३ (from टाईम्स ऑफ़ इंडिया)

July 25, 2008: Seven blasts hit the Indian IT city of Bangalore, killing at least two people.

March 13, 2003: A bomb attack on a commuter train in Mumbai kills 11 people.

August 25, 2003: Two almost simultaneous car bombs kill about 60 in Mumbai.

August 15, 2004: Bomb explodes in northeastern state of Assam, killing 16 people, mostly schoolchildren, and wounding dozens.

October 29, 2005: Sixty-six people killed when three blasts rip through markets in New Delhi.

March 7, 2006: At least 15 people killed and 60 wounded in three explosions in Varanasi.

July 11, 2006: More than 180 people killed in seven bomb explosions at railway stations and on trains in Mumbai.

September 8, 2006: At least 32 people killed in a series of explosions, including one near a mosque, in Malegaon town, 260 km (160 miles) northeast of Mumbai.

February 19, 2007: Two bombs explode aboard a train bound from India to Pakistan, burning to death at least 66 passengers, most of them Pakistanis.

May 18, 2007: A bomb explodes during Friday prayers at a historic mosque in the southern city of Hyderabad, killing 11 worshippers. Police later shoot dead five people in clashes with hundreds of enraged Muslims who protest against the attack.

August 25, 2007: Three explosions within minutes at an amusement park and a street-side food stall in Hyderabad kill at least 40 people.

May 13, 2008: Seven bombs rip through the crowded streets of India's western city of Jaipur, killing at least 63 people in markets and outside Hindu temples.

July 25, 2008: Seven blasts strike the IT city of Bangalore killing at least two people and wounding at least 20.

4 comments:

Anonymous said...

I completely agree that v the Indians r jst sitting in our homes like cowards. v jst blame the system every time bt forget that v r the ones who form this system! we need to get up frm our secure sleep coz v can b the nxt victim!
I believe that each one of us can make a difference. Highly appreciable work done...
JAI HIND!!

Unknown said...

आज मन नही लग रहा जब मुझे मेरे भाइयों को कायर बुलाया गया तो इस आह्वान ने मजबूर कर दिया मुझे आतम मंथन करने पर की अचानक से कहा गए मेरे दिल मैं बसे हुए भगत सिंघ कहा गया वो उधम सिंघ जिन्होंने अपनी भारत माँ के आँचल पर हाथ लगाने वाले अंग्रेजो के सीने मैं अपनी मतार्भक्ति की मोहर लगा दी थी.और आज तार तार कर दिया उस माँ का आँचल कुछ लोगो ने और हमने क्या कहा "Oh shiitt" , "Damn it " यह तो हद हैं और बस कुछ नही. मानता हूँ वो वक्त और था तब बात कुछ और थी पर आज मुझे तो लगता हैं की वक्त आ गया हैं आज वो बात आ गई हैं. मेरे आतम मंथन से निकले कड़वे विष ने मुझे अहसास कराया की मेरे दिल मैं बसे उन मतवालों की छवि एकदम से धूमिल नही हुई वो तिल तिल कर कश्मीर मैं मरी हैं, कभी घायल हुई हैं मुंबई की लोकल मैं, कभी आसाम मैं मरी गई हैं, कभी भगवान के घर मैं घुस के चोटें पहुचाई हैं तो कभी मज्सिद के अन्दर रुलाई गई हैं.
और इस तरह धीरे धीरे करके हम कायर बन गए हैं .....विनोद का कहना ग़लत नही हैं की हम कायर हैं.और शायद वो दिन दूर नही "जब सारे जहाँ से" के बोल रबिद्रनाथ कुछ ऐसे लिख दे......कायर हैं हम वतन हैं हिंदुस्तान हमारा हमारा.....सारे जहाँ से कायर ....

छुप कर बेठी थी वो आँचल भी था उसका तार तार..
मेरे नमन पर चोंक गई थी वो कुछ सहम गई थी वो

परिचय पूछने पर आँखों मैं आंसू की एक बूँद थी और होठो पर उदासी भरी मुस्कराहट
बेबसी थी चेहरे पर उसके और माथे पर थकावट .

मैंने फ़िर कहा माते अपना परिचय दीजिये तब वो बोली थी.
मैं जननी हूँ महाराणा प्रताप की, मैं माँ हूँ भगत सिंघ, गाधी और सुभाष की

आगे बढ कर मैंने जब उसके चरण छुए तो वो पीछे हट गई,
मैंने कहा माँ अपने एक और पुत्र का प्रणाम स्वीकार करो मुझे अपने माम्त्य से तृप्त करो

वो वोली नही तुम मेरे पुत्र नही हो सकते तुम जैसे कायर मेरे बेटों के भाई नही हो सकते.
तुम अपनी कायरता से उनका ना अपमान करो और एक हिन्दी होने का दंभ न भरो

कहाँ थे तुम जब मेरे आँचल को चंद लोग तार तार कर रहे थे..
कहाँ थे जब मेरे सीने पर बिजली गिरी थी.
कहाँ थे जब तेरे भाइयों का खून बहा था
कहाँ थे तुम कहाँ थे तुम

जाओ मैं अस्वीकार करती हूँ तुम जैसे पुत्रों को जिनके लिए स्वयम सर्वो परी हैं
आज एक प्रतिज्ञा मैं लेती हूँ की जब तक मुक्त नही हो तुम मेरे मातर ऋण से
जब तक मेरे आँचल को धो न दो इन देश द्रोहियों के लहू से .

मैं आशीर्वाद की छाया से भी सुसजित न करुँगी जब तक
एक भाई भी तेरा असुरक्षित हो जब तक

हाँ मेरे बेटे कायर है हाँ मेरे बेटे कायर हैं....
और छिप गई फ़िर किन्ही अंधेरो मैं जाकर
और छिप गई फ़िर किन्ही अंधेरो मैं जाकर....

:भारत माँ का एक अस्वीकारा हुआ कायर बेटा

http://sharehindipoetrygazal.blogspot.com/

Anonymous said...

समस्या तो है ???? ..... और निश्चित रूप से इसका समाधान .."आज" ही करना होगा..!!

कायर हम ...क्यों ???????

अब तो स्वंतंत्र हुए भी अरसा हो ......६२ वर्ष हो गये... अब किसी को दुहाई दी तो लगता है की अपने ही घर पे लांछन लगा रहे है ....

छाती ठोंक के अपनी ही कायरता का, डर का.. , नकारेपन का बखान कर रहे है | ये ज़िम्मेदारी तो सबकी है ... हर एक नागरिक की है | जिस तरह हम अपने घर को बचाने में सब कुछ लगा देते है.... यहाँ भी..अपने दायित्व समझे और स्वतेह मॅन से लग जाए. ...... इसके सिवा कोई और रास्ता नही है |

ये एक निश्चय है जो की हर देस वासी के मॅन में होने चाहिए........ अब और नही |
और अगर हर कोई अपने घर, मुहल्ले, कॉलोनी, समाज के लिए खड़ा होगा ....तो देश खुद ही बेहतर हो चलेगा.

यह लड़ाई जो हुमे अपने लोगो के बीच रहकर ही लड़नी है, किसी जान समुदाय के खिलाफ नही बल्कि.. हर उस इरादे के खिलाफ, वजह के खिलाफ जो इसे भड़का रहा है ..... जो ऐसे हादसो का जन्म दाता है

जागरूक जनता ही इस लड़ाई का मुक़ाबला कर सकेगी |

किसी की जान लें लेना शायद अपराध माना जाता है.....
पर अब चुप रहना "संगीन जुर्म " है ....जो की कल सरकारी फाइल में खुद और स्वज़नो का नाम और अ|कड़ों में चन्द गिनती बड़ा देगा.

आप खुद तो हर जगह मौजूद नही रह सकते... अपने और स्वज़नो की रक्षा के लिए तो कुछ ऐसा करे जिस से जो भी उस वक़्त उनके करीब हो वो ही उनका रक्षक रहे...... इस प्रयास से ही हम शायद बेहतर सजग समाज बना पाएँगे...

जय हिंद
जो तलाश है ख्वाबों में..... आओ उसे सच करने चलें

Unknown said...

बहुत खूब मित्रो...ये छोटा सा प्रयास है ...पर आपके विचारो इसे शक्ति मिलती है ..आपने विचार डालते रहिये ... हम इस सोच को आगे ले जा कर रहेंगे -- आपका विनोद शर्मा